Kashtha_Sangha

काष्ठ संघ

Kashtha Sangha

(Digambar Jain monastic order)

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काष्ठा संघ: एक दिगंबर जैन मठ

काष्ठा संघ एक दिगंबर जैन मठ था जो कभी उत्तर और पश्चिमी भारत के कई क्षेत्रों में प्रभावशाली था। यह मूल संघ का ही एक शाखा माना जाता है। कहा जाता है कि इसका उद्भव काष्ठा नामक शहर से हुआ था।

विवरण:

  • नाम: काष्ठा संघ, "काष्ठ" शब्द का अर्थ "लकड़ी" से है।
  • धर्म: दिगंबर जैन धर्म।
  • मूल: मूल संघ से एक शाखा।
  • स्थान: उत्तर और पश्चिमी भारत, विशेष रूप से काष्ठा नामक शहर में।
  • प्रभाव: काष्ठा संघ कई क्षेत्रों में प्रभावशाली था, जिसने जैन धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

काष्ठा संघ की उत्पत्ति:

काष्ठा संघ की उत्पत्ति के बारे में बहुत सारी कहानियां हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय कहानी इस प्रकार है:

  • एक बार, एक जैन साधु काष्ठा नामक शहर में प्रचार कर रहे थे। वहां उन्होंने एक राजकुमार को धर्म में परिवर्तित किया।
  • राजकुमार ने अपना राज्य त्याग दिया और जैन साधु बन गए।
  • उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ एक नया मठ स्थापित किया, जिसे काष्ठा संघ के नाम से जाना जाता है।

काष्ठा संघ की विशेषताएं:

  • कठोर नियम: काष्ठा संघ के साधुओं ने कठोर नियमों का पालन किया।
  • नग्नता: वे नग्न रहते थे और संसार के सभी सुखों का त्याग कर देते थे।
  • कर्मकांड: वे कर्मकांडों में भी विश्वास करते थे।
  • पारिवारिक जीवन त्याग: वे पारिवारिक जीवन का त्याग कर देते थे।

काष्ठा संघ का प्रभाव:

काष्ठा संघ ने जैन धर्म के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे अपने उपदेशों के माध्यम से लोगों को धर्म में परिवर्तित करते थे। उन्होंने मठों, मंदिरों और स्कूलों का निर्माण भी किया।

निष्कर्ष:

काष्ठा संघ एक महत्वपूर्ण दिगंबर जैन मठ था जिसने जैन धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका प्रभाव आज भी कई जैन धर्मावलंबियों पर देखा जा सकता है।


Kashtha Sangha was a Digambar Jain monastic order once dominant in several regions of North and Western India. It is considered to be a branch of Mula Sangh itself. It is said to have originated from a town named Kashtha.



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