
रोशी
Rōshi
(Title in Zen Buddhism)
Summary
रौशि: ज़ेन बौद्ध धर्म में एक सम्मानित पदवी
"रौशि" (老師) एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है "वृद्ध गुरु" या "पुराने उस्ताद"। यह ज़ेन बौद्ध धर्म में एक सम्मानित पदवी है, जिसका उपयोग अलग-अलग संप्रदायों और देशों में अलग-अलग तरीके से किया जाता है।
रिंज़ई ज़ेन में, "रौशि" पदवी केवल उन व्यक्तियों के लिए आरक्षित है जिन्हें "इन्का शोमेई" प्राप्त हुआ है, जिसका अर्थ है कि उन्होंने पूरे "कोआन" पाठ्यक्रम को पूरा कर लिया है। किसी भी समय, दुनिया में ऐसे 100 से भी कम लोग होते हैं।
सोटो ज़ेन और सांबो क्योदान में, इस पदवी का उपयोग थोड़ा अधिक उदारता से किया जाता है। यह विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में देखा जाता है, जहाँ लगभग किसी भी शिक्षक को "रौशि" कहा जा सकता है जिसे "धर्म ट्रांसमिशन" प्राप्त हुआ है। कुछ शिक्षक खुद को "रौशि" भी कह सकते हैं, जो जापान में अकल्पनीय है।
विस्तार से:
- रिंज़ई ज़ेन में "रौशि" बनने की प्रक्रिया बेहद कठोर होती है और इसमें कई वर्षों का गहन अध्ययन और साधना शामिल होती है।
- "इन्का शोमेई" प्राप्त करने के लिए, एक छात्र को अपने गुरु को यह सिद्ध करना होता है कि उसने ज़ेन की शिक्षाओं में पूरी तरह से महारत हासिल कर ली है और वह दूसरों को शिक्षा देने के योग्य है।
- सोटो ज़ेन और सांबो क्योदान में "रौशि" बनने के लिए मानदंड थोड़े अलग हो सकते हैं, लेकिन फिर भी यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है और यह दर्शाती है कि व्यक्ति को ज़ेन अभ्यास और शिक्षा में उच्च स्तर की समझ है।
"रौशि" पदवी, ज़ेन बौद्ध धर्म में सम्मान, ज्ञान और आध्यात्मिक अधिकार का प्रतीक है।